आखिरी कविता
आखिरी कविता
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मैंने कई दिन से नहीं लिखा
सच कह रहा हूँ नहीं लिखा।
तुम्हारी बातें
तुम्हारी यादें
तुमसे मुलाकातें
और अपनी रातें।
एक किस्सा सुनाता हूँ
किस्से में हाल सुनाता हूँ
हाल तो बेहाल है
सिगरेट जलाता हूँ।
रूको! रुको! कहीं मत जाओ
यह बुझ गयी दूसरी जलाओ।
धुएं में शब्द उड़ गये
आग में भाव जल गये
कलम और कागज सो गये
जहरी बाबा सिगरेट लेने गये।