तेरा कोई जोड़ नहीं
तेरा कोई जोड़ नहीं
तेरा कोई जोड़ नहीं
तुझसे कोई होड़ नहीं
पल-पल तू जो साथ मेरे
इसका कोई तोड़ नहीं
किन-किन रिश्तों में
तू जीवन में नुमाया
घर से लेकर मेरे पूरे
दिल में तू समाया
किस तरह सारी तेरी
नेमतों को बयां मैं करूँ
तू जो घर संभाले मेरा
और मैं काम पे फिरूँ
मेरे पीछे चलता आया तू
कोई भी प्रश्न भी न किया
मेरी बदमाशियों को भी सहा
अपना कोई मरहम न किया
कितने ही रिश्तों में तू
मेरे आसपास ही रहा
तेरे होने ही भर से तो
मैं कितना निश्चिन्त रहा
तेरा कोई जोड़ नहीं
तुझसे कोई होड़ नहीं
ओ मेरे जाने जां
मन में मेरे कोई मोड़ नहीं !!