हिंदी गज़ल
हिंदी गज़ल
इंसानों की इस दुनियाँ में शायद वो इंसान मिले,
जिसकी आँखों में हों आंसू चेहरे पर मुस्कान मिले।
पैसेवाले लोगों को तो सदा गरीबी में पाया,
हाथ कटोरा लिए घूमते ही हमको धनवान मिले।
मंदिर में तो बस मूरत थी मस्ज़िद में भी कहाँ खुदा,
बाहर भीड़ भाड़ में धक्के खाते ही भगवान मिले।
संसद के गुम्बद पर बैठा पंछी बड़ा उदास दिखा,
उसे अटारी पर अपने कुछ साथी लहूलुहान मिले।
भाले बल्लम तलवारें कुछ रस्सी फंदे चाक़ू बम,
मंदिर मस्ज़िद के तहखानों में इतने सामान मिले।
बूढा हुआ हमारा सूरज अँधेरे से डरता है,
सबकी मांग यही है अबकी एक नया दिनमान मिले।
सोना चाँदी मत बरसाओ देना हो तो सुनो 'महेश'
तुलसी की चौपाई दे दो ग़ालिब का दीवान मिले।