इश्क
इश्क
आँखो में कुछ ख्वाब छुपे रहा करते हैं
आज कल वो तन्हा रहा करते है
कोई पढ़ न ले फसाना चेहरे का
इसीलिए वो बाहिजाब रहा करते हैं
मुस्कराहटें भी कुछ इस कदर है उनकी
जैसे कलियों से रंगत चुराया करते हैं
चमक नैनों में ये आज कल है कैसी
फलक के सितारे भी शरमाया करते हैं
उनसे कह दो इश्क यूँ नहीं छुपता
हम इसे आँखों से बयाॅ करते हैं ....