ठण्डी आई
ठण्डी आई
1 min
678
ठण्डी आई ठण्डी आई
बच्चे बोलें ओढ़ रजाई
आओ गरम जलेबी खा लो
बोल उठे छन्नू हलवाई।
खेत में पीली सरसों फूली
हरी मटर की बात निराली
सुबह घास पर ओस के मोती
शाम सूर्य की सुन्दर लाली।
धूप-छाँव की लुकाछुपी होती
पैर में मोजे सिर पर टोपी
पहन -ओढ़कर निकला उज्जवल
चलो, चलो स्कूल चलो भाई।
कौन नहाये, कौन करे कंघी
दिन हुए छोटे रातें लम्बी
बूढ़े बाबा लगे ठिठुरने
आग जलाओ करो तपाई।
कल से पढ़ने जाऊँगा नहीं
बन्द करो स्कूल अब भाई
बच्चे बोलें ओढ़ रजाई
ठण्डी आई ठण्डी आई ।