समय
समय
उठ के गिरना, गिर के उठने का
तूने मुझे सलीका सीखा दिया,
समय तूने मुझे जीवन जीना सीखा दिया।
बचपन में किसी बात का ग़म नहीं था,
खेलो कुदो और बस आराम में ही मन था।
रास्ता आसान लग रहा था,
पर समय ने हमे बड़ा के दिया।
युवा जोश का भरपूर उपयोग किया,
देश को अपना पूरा सहयोग दिया।
पर फिर समय का पहिया चलता है,
और जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता है।
इंसान जब जीवन से थक जाता है,
तब समय कुछ शांति के पल देता है,
जाने से पहले वो तुम्हें दो घड़ी ख़ुशी के देता है,
और एक मर्म भाव से वो विदाई लेता है।