नज़रें
नज़रें
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तेरी नजरें हैं कातिल पता है मुझे,
फिर ये नजरें न मुझसे छुपाया करो,
जो कुछ भी है लेना वो ले लो मगर,
ये शर्तें ना मुझसे लगाया करो,
तेरी प्यारी सी बातें यही हैं तो फिर,
ये बातें न मुझको बताया करो,
दे नहीं सकती खुशियाँ तो न दो मगर,
हर किसी को न ये सब बताया करो,
तेरी यादें हैं ये तो ले ले इन्हें,
कम से कम युँ न हमको रूलाया करो,
कर रहे हो उजाले जो तुम हर तरफ
तो इस दिल में भी इक दीपक जलाया करो,
कि मैं कब कह रहा हूँ तुम मेरी बनो,
न बनो न ही सपनों में आया करो,
ये हवा, ये घटा, ये समाँ, ये दिया,
कह रहे हैं कि तू ने ये क्या किया,
ढा दिये हैं सितम, जो तूने सनम,
हर किसी को न अपना बनाया करो!
तेरी नज़रें हैं कातिल पता है मुझे,
फिर ये नज़रें न मुझसे छुपाया करो!