नेता
नेता
तन का उजला,
मन का काला,
पहन सफेद कुर्ता धोती,
लपेट कर दुशाला !
आ जाता है,
मेरी अटरिया पर,
खड़ा हो जाता है,
बगुले की तरह !
केवल एक टांग पर,
और अपना,
जाल है फैलाता !
ले जाता है,
अबोध कृष्ण के,
हाथ से रोटी !
फिर अमरत्व प्राप्त करके,
पांच साल,
लौटकर नहीं आता !