अप्रेषित प्रेमपत्र
अप्रेषित प्रेमपत्र
आपका चेहरा देखा जब इन आंखों से,
आपके सपने देखने लगा इन आंखों से,
आपका सौंदर्य रूप नहीं मिटता मन से,
प्रेम-पत्र अब लिख रहा हूँ अपने हाथों से।
दिन और दिन बीतते चले गए,
सप्ताह और सप्ताह जाते गए,
महीने और महीने जो गुज़र गए,
अपने दिल की बात कह न पाए।
मेरा यह आस अब आस ही रह जाए,
मेरा प्रेमपत्र कब आप तक पहुँच जाए,
आपकी मेरी दूरी कभी भी बढ़ न जाए,
मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं।