संग तेरे
संग तेरे
तेरी तन्हाईयां अब भी ये सवाल करती हैं
मरता था तू जिस पे वही ये हाल करती हैं
बड़ी नाज़ुक थी तेरी मुहब्बत
जो दर्दे - खास देती है
कि तेरी हर एक याद
जिस्म को सांस देती है
हुआ करते थे, हम भी कभी रांझा
कि उसको हीर कहते थे
कि बदल सके न जिसको हम
उसे तकदीर कहते थे
ज़माना है ये बड़ा कातिल
जो दिलों को तोड़ देता है
जो चल सके न संग इसके
उसे ये छोड़ देता है
हमने देखे थे जो सपने, संग साथ जीने के
टूटे गए वो सपने तेरे मेरे सीने के
सोचे ये दिल अब मेरा
मेरी जान ज़रा सुन ले
बहुत हुआ जीना अब तो, मौत ही चुन ले
तू धड़कन में था यूं समाया
जैसे सीप में मोती
अगर संग तेरा जो होता, तो क्या ज़िंदगी होती
तेरी जुल्फों में शाम होती
तेरी आँखों में सुबह होती
कभी तू मुझमे खो जाती
कभी मैं तुझमें खो जाता।