माँ
माँ
रोती थी जब कभी आँखे मेरी
तब तेरी नींद उड़ जाया करती थी
हँसता देख कर मुझे तू भी तो मुस्कुराया करती थी
उँगलियाँ थाम कर तुम मेरी
चलना मुझे सिखाया करती थी
क्या भला है क्या बुरा तुम मुझे समझाया करती थी
बचपन में मैं जब मस्ती में खो जाया करता था
थक कर मैं माँ तेरे आँचल में सो जाया करता था
मीठी मीठी तुम जब मुझे लोरियाँ सुनाया करती थी
प्यार से मेरी पीठ को थपथपाया करती थी
गलतियाँ करने पर मुझे डाँट लगाया करती थी
कुछ अच्छा करने पर मुझ पर नाज़ जताया करती थी
माँ अब मैं बड़ा हो गया हूँ
ज़िन्दगी की इस भाग दौड़ में कही खो गया हूँ
ना दिन का पता है ना रात की है खबर
माँ तू कहाँ है? तुझे ढूंढे ये नज़र
आज भी थकने पे मुझे तेरा आँचल याद आया करता है
आँखों को मेरी हल्के से गिला कर जाया करता है
तेरी वो लोरियाँ तेरी वो कहानियाँ कौन मुझे सुनाए
क्या भला है क्या बुरा कौन मुझे बताये
दुनिया जीतने चला था मैं पर आज खुद से हारा हूँ
जो भी हूँ जैसा भी हूँ मैं तेरा ही दुलारा हूँ
बड़ा होने से बेहतर मैं बच्चा ही अच्छा था
मासूम था मैं माँ दिल का बड़ा सच्चा था ||