एक सा लगे हर दिन
एक सा लगे हर दिन
रहता था पहले तेरा इन्तजार हमको
जब हम छोटे छोटे नन्हे नन्हे बच्चे थे।
स्कूल की होगी छुट्टी और थोड़ी सी
खेल खुद मौज मस्ती होगी।
अब नहीं कोई तेरा इन्तजार हमको
हर दिन लगे हमको एक समान।
वो दिन बचपन के खो गए जाने कहाँ
जब थोड़ी सी फुर्सत मिलती थी।
अब तो टेंशनों ने घेर लिया हमको
नहीं रही वो पहले वाली जिंदगी।
जब कोई फिक्र ना थी हमको
अब तो बस सब यादें रह गयी पुरानी।
अब तो संडे हो या मंडे जिंदगी लगे
एक समान हर दिन लगे एक सा।।