शिक्षा का बोझ
शिक्षा का बोझ
ये कैसे ख्वाब जगे है माँ बाप के मन मे
चाहते हैं उनके बच्चे पढ़े बड़े से बड़े स्कूलों में।
उसके लिए ना जाने करते हैं कितनी मेहनत
उनकी पढ़ाई की खातिर दोनों ही अब काम करे।
शिक्षा का बोझ इतना बढ़ गया फीस अब लाखो में भरते हैं
अपनी चादर से बाहर जाने क्यों है पैर पसारते लोग है ।
पहले तो चार चार बच्चों को भी खुशी-खुशी पढ़ाते थे
अब तो एक बच्चे की पढ़ाई के बोझ से टूट जाती इनकी कमर।
दूसरा बच्चा तो अब कोई सोच समझकर ही पैदा करता
एक बच्चा ही इतनी ख्वाहिश इतनी ज़िद्द करता है कि,
उनको पूरा करते करते टूट जाती माँ बाप की कमर
कल को जिन बच्चो की खातिर ये अपने सपने तोड़ रहे,
अपनी खुशियाँ गंवा रहे, वो ही उनको आँख दिखाएंगे
हिंदुस्तान की शिक्षा बुरी नहीं,
क्यों ये इंटरनेशनल स्कूलों के पीछे भाग रहे।