जब मैं तन्हा होता हूँ
जब मैं तन्हा होता हूँ
जब मैं तन्हा होता हूँ
बहुत सोचता हूँ,
आखिर मैं इतना क्यूँ सोचता हूँ,
जब मैं तन्हा होता हूँ,
यही सोचता हूँ।
कभी खुद को सोचता हूँ,
कभी जीत सोचता हूँ,
कभी हार सोचता हूँ,
कभी रोकर सोचता हूँ,
कभी हँसकर सोचता हूँ,
जब मैं तन्हा होता हूँ,
बहुत सोचता हूँ।
कभी फलक सोचता हूँ,
कभी जमीन सोचता हूँ,
कभी गम को सोचता हूँ,
कभी ख़ुशी को सोचता हूँ।
जब मैं तन्हा होता हूँ,
बहुत सोचता हूँ।
कभी अमन सोचता हूँ,
कभी रंज सोचता हूँ,
कभी सच्चाई सोचता हूँ,
कभी फरेब सोचता हूँ,
जब मैं तन्हा होता हूँ,
बहुत सोचता हूँ।
कभी राम सोचता हूँ,
कभी रहीम सोचता हूँ,
कभी अंगार सोचता हूँ,
कभी प्यार सोचता हूँ,
जब मैं तन्हा होता हूँ,
बहुत सोचता हूँ।
आज फिर मैं सोचता हूँ,
आखिर मैं क्यूँ सोचता हूँ,
जब मैं तन्हा होता हूँ,
यही सोचता हूँ।।