तस्वीर
तस्वीर
दिल में बस उसकी ही
तस्वीर को बसाया था हमने
भूल कर खुद को भी कभी
उसे अपनाया था हमने
हो जाते थे मदहोश उसकी
कोयल सी आवाज से
जब प्यार से कभी
उसने बुलाया था हमें
एक ही तस्वीर में
कभी हँसते थे दोनों
जिसे देखकर उसकी यादों ने
आज इतना रुलाया हमें
खो गए थे उनकी
बातों में इस तरह
बादलों में छिपे हुए
सूरज की तरह
छिप गया था सूरज भी
शाम होते ही
फिर ढूंढते रह गए हम
अपना वो चाँद पागलों की तरह।