रात कमल दल फूले
रात कमल दल फूले
सखी सुन मेरी बात
क्या हुआ कल मेरे साथ
प्रिय ने थामा मेरा हाथ
पुलकित हुए सोये ज़ज़्बात
खुशियो की हुई बरसात
कैसी अनोखी आई रात
सच मे प्यारा अनुभव था
प्रिय के हाथ में हाथ मेरा था
दिल मे बज़ उठे सितार थे
किये मैंने सोलह श्रृंगार थे
आसमान भी खुश हो रहा था
नदियों में भी अजब तूफान था
रात बड़ी इतराई लगती थी
रात में मानो कमल दल खिलने लगे
चारो ओर भवरें मंडराने लगे
सच कितना सुहाना था वो पल
सब कुछ लगता था अपना पल
लेकिन ख्वाब मेरा टूट गया
रात देखा वो पीछे छूट गया
वो एक सपना देख रही थी
मन ही मन खुश हो रही थी।