मुस्कान
मुस्कान
ठंडी का मौसम
ठंडक रात की
दिन भर की मेहनत
कँपकँपी अंग की।
खुले आसमान में
ना घर ना ठिकाना
जिंदगी तो दुखभरी
क्यूं किसी को दिखाना।
इकठ्ठा करके कुछ
कागज रास्तों के उड़ते
आग जलाई कोने में
देखो चेहरे निखारते।
जिंदगी का ये सफर
रुकना नहीं चाहिये
मौसम आये मौसम जाये
चेहरे पर मुस्कान चाहिये।