HARSUKH RAIVADERA રાયવડેરા "હસુ"
Inspirational
कुछ पाने के लिये,
कुछ खोना भी पड़ता हे !
सफलता पाने के लिये
कठिन परिस्थितियों से
गुजरना पड़ता है !
में गुलाम हु ...
शायरी
मौन का महत्व
अच्छा वक्त(सम...
बेरहम
दोस्ती
भारत
दिलों का खेल
बच्चों से महं...
वादा
मेरा छोटा रूप भी तुम्हे बहुत भाया तभी तो पूजा में शालिग्राम बना बैठाया। मेरा छोटा रूप भी तुम्हे बहुत भाया तभी तो पूजा में शालिग्राम बना बैठाया।
मेरे मन के द्वार पर रोज नये फूल खिलते हैं तुम्हारी हंसी की तरह बेमौसम खिलते है मेरे मन के द्वार पर रोज नये फूल खिलते हैं तुम्हारी हंसी की तरह बेमौसम ...
गुनगुनी धूप पर हरी घास का बिछौना। गुनगुनी धूप पर हरी घास का बिछौना।
चहुं दिशा फिर विजय पताका भारत की लहराएगी। चहुं दिशा फिर विजय पताका भारत की लहराएगी।
फिर मैं भी जुट गया करने कार्य साधन, मन, मस्तिष्क और मित्रों का मिला समर्थन। फिर मैं भी जुट गया करने कार्य साधन, मन, मस्तिष्क और मित्रों का मिला समर्थन।
मेरे जीवन गीत खुशी के, तेरी ही आवाज़ से माँ मेरे जीवन गीत खुशी के, तेरी ही आवाज़ से माँ
जो इसके समर्पण की याद दिला रहा है सब कुछ अर्पण किया था उसने आज तक जो इसके समर्पण की याद दिला रहा है सब कुछ अर्पण किया था उसने आज तक
ये ठीक है कि आपको बोलने की अजीबोगरीब बीमारी है। ये ठीक है कि आपको बोलने की अजीबोगरीब बीमारी है।
सोचा नहीं कभी भी संचित, यहीं धरा रह जायेगा । निश्चित है गगरी टूटेगी, पानी सा बह जायेगा सोचा नहीं कभी भी संचित, यहीं धरा रह जायेगा । निश्चित है गगरी टूटेगी, पानी सा ...
मर्जी से अपनी.... चुभाता नहीं कोई, कांटे अपने पांव... मर्जी से अपनी.... चुभाता नहीं कोई, कांटे अपने पांव...
मुखौटा गंभीरता का मुखौटा गंभीरता का
दोनों ही इस देश की धरती पर पाये जाते है, कोई कब्र, कोई श्मशान में जाते है। दोनों ही इस देश की धरती पर पाये जाते है, कोई कब्र, कोई श्मशान में जाते है।
क्या रिश्वत लेकर या देकर, धन या मान तुमने कभी ना पाया, क्या रिश्वत लेकर या देकर, धन या मान तुमने कभी ना पाया,
बेबस हो गए हैं फूल सुहाने मानो उम्र बीत गई बहारों की। बेबस हो गए हैं फूल सुहाने मानो उम्र बीत गई बहारों की।
अगर जिंदगी खूबसूरत होती तो, पृथ्वी भी बहुत खूबसूरत होती। अगर जिंदगी खूबसूरत होती तो, पृथ्वी भी बहुत खूबसूरत होती।
बोली की मीठी चाशनी में, कड़वाहट को डूबोना है। बोली की मीठी चाशनी में, कड़वाहट को डूबोना है।
मंज़िल की अंतिम पायदान पर वही खड़ा हुआ है। मंज़िल की अंतिम पायदान पर वही खड़ा हुआ है।
ढलती हुई यह शाम, दे रही है, पैगाम चलता चल, दूर तलक है, लक्ष्य राम ढलती हुई यह शाम, दे रही है, पैगाम चलता चल, दूर तलक है, लक्ष्य राम
जिस धरती पर जन्म मिला, वह तेरा ही तो रूप है, गंगा गौ भाषा में बसता, तेरा मात स्वरूप है जिस धरती पर जन्म मिला, वह तेरा ही तो रूप है, गंगा गौ भाषा में बसता, तेरा मात ...
खिलाता गगन की सूनी छाती पे पुष्प, न सिंहासन किसी का छीनता है भारत। खिलाता गगन की सूनी छाती पे पुष्प, न सिंहासन किसी का छीनता है भारत।