मज़दूर की बेटी
मज़दूर की बेटी
वक़्त की दहलीज़ क्या काम कर गई
एक मज़दूर की बेटी सवाल कर गई।
रंग लाई ना किस्मत कुछ ज्यादा
हाथों की लकीर से बवाल कर गई
एक मज़दूर की बेटी सवाल कर गई ।
घर में ना दाना था ना पानी था
घिस गए हाथ मजदूरी से ...
ख्वाहिशों को भी देखा बहुत दूरी से
पापा की मेहनत ना कुछ कमाल कर गई।
आँखों में अश्क ए इबादत कर गई
एक मज़दूर की बेटी खुदा से सवाल कर गई।