सोने की चिड़िया
सोने की चिड़िया
पर्वत तेरा शीश नवाय,
सागर तेरे पाँव पखारे
रेगिस्तान से तपते हाथों को
स्कंध पानी से फुहारे
नदियां तेरी धरती को कल कल कर
जीवन करतीं प्रदान
ऐ भारत तू देश महान।
सोने की चिड़िया बन चहका तू
राम कृष्ण वाणी से महका तू
संत साधुओं के वचनों भजनों से
कोना कोना तेरा गुंजाएमान
ऐ भारत तू देश महान।
तुझे लूटने कितने आए
एक नहीं बहुतेरे आए
तेरी मिट्टी के कण कण से
जीवन का मोती लेने आए
किसी ने तुझे जीतना चाहा
किसी ने तुझे तोड़ना चाहा
कोई तुझसे हार गया तो
किसी ने तुझे दिया सम्मान
ऐ भारत तू देश महान।
तूने कितनों को अपनाया
देश विदेश तक को सिखलाया
मिलजुलकर कैसे रहते हैं
जब घर में संग अनेक रहते हैं
जीवन का आशय क्या होता है
तन मन को योगI फल देता है
ध्यान लगाने से मनुष्य को
मिल जाता है कितना ज्ञान
ऐ भारत तू देश महान।
जाग रहा है भारत अब तू
आगे बढ़ते जाने को
अब दर्पण में झांक रहा तू
अपने पूरे जीवन को
क्या खोया क्या पाया तूने
क्या रहा क्या गवांया तूने
कैसे मस्तक गर्वित रहा
उन तपते जलते थपेड़ो में
अब नया दौर है नया मनुष्य
तेरी डगर है बहुत जटिल
अपने अपनों से झगड़ रहे
रिश्ते मोती से बिखर रहे
पैसों की चार दीवारी में
इंसानियत के सपने ठिठुर रहे
उसको फिर सिखलाना होगा
आगे का मार्ग दिखाना होगा
सारथी बन इस कलयुग में
कर्म का फल समझाना होगा
जिन अपनों से है हार गया तू
जिन अपनों से है रूठ गया तू
उनसे ही होगा तेरा सम्मान
तेरी ही ऊँगली थाम,
इस जनजीवन का होगा विहान।
ऐ भारत तू देश महान।
ऐ भारत तू देश महान।