स्त्री
स्त्री
दया, ममता, करूणा ही,
स्त्री का हथियार है।
अगर वो दुख, दर्द, तकलीफ़
सहते-सहते विवश, कमजोर
हो गयी, तो खुद को मौत के
हवाले कर सकती है।
मगर किसी की जान नहीं
ले सकती
क्योंकि स्त्री के अन्दर
सहनशीलता
कूट-कूट कर भरी होती है।
और प्रेम का सागर भी
उसमें समाहीत होता है।
जो प्रेम, प्यार कर सकती है,
किसी का प्यार छीन नहीं सकती।