चूड़ियाँ
चूड़ियाँ
बन्द करो ये चूड़ियों की खनखन
बन्द करो ये चूड़ियों की खनखन
मुझे कोई याद आता है
दर्द-ऐ-जुदाई सताता है।
मत याद दिलायो वो गुज़रे जमाने प्यार के
चूड़ियों से जुड़े हैं कई अफसाने प्यार के
इन्तेज़ार के, इकरार के ।
मेरा साथ छोड़ा था किसी ने
इन चूड़ियों को तोड़ा था किसी ने
दिल हार के ,मन मार के।
मुझे आता नज़र वो दूर है
बेवफ़ा नहींं वो मजबूर है
परिवार से ,संसार से ।
मुझे उससे कोई गिला नहीं
मुझे वैसे भी कुछ मिला नहीं
ऐतबार से, सच्चे प्यार से ।
मुझे मुड़के देखा ना निगाहे-यार ने
मैं तो लुट गया उसके प्यार में
सब हार के ,उसपे वार के ।
अब भाती नहीं आवाज़ ये
है दर्द का इक साज ये
इक कटार है ,दिल के पार है ।
बन्द करो ये चूड़ियों की खनखन ।