सखी री होरी है
सखी री होरी है
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी...
होरी बड़ी बरजोर है !
अमरैया की छाँव में,
कोयल के गांँव में !
नाचे मन का मयूर है,
होरी बड़ी बरजोर है...
पी के उच्छांश्व में,
नयनों के डोर में !
पपीहे की प्यास में,
प्यार की उमंग है !
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी !
होरी बड़ी बरजोर है...
भंग की तरंग में,
फगुए के रंग में !
मन की तरंग में,
फाग देखो गा रहा मलंग है...
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी !
होरी बड़ी बरजोर है...
वसन हुए पीत पीत,
खिले पीले पीले !
सरसों के फूल...
मन में छलकता,
यौवन भरपूर है !
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी !
होरी बड़ी बरजोर है...
मन की अग्न में,
टेशू की दहन में !
छलकते यौवन में,
बहक रहा देखो !
साधु का मन है...
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी !
होरी बड़ी बरजोर है....
राधा का मन डोले,
कान्हा की बंशी बोले !
गोपियों का संग बोले,
बिखरा चहुँओर !
रंग और अबीर है !
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी !
होरी बड़ी बरजोर है...
भँवरे की गूँज में,
कोयल की कूक में !
गोरी के नयना में,
बागों में देखो !
बगरो बसंत है...
आओ सखी जाए,
खेलन को होरी !
होरी बड़ी बरजोर है...।।