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Sadhana Mishra samishra

Drama

3  

Sadhana Mishra samishra

Drama

सखी री होरी है

सखी री होरी है

1 min
390


आओ सखी जाए,

खेलन को होरी...

होरी बड़ी बरजोर है !

अमरैया की छाँव में,

कोयल के गांँव में !

नाचे मन का मयूर है,

होरी बड़ी बरजोर है...


पी के उच्छांश्व में,

नयनों के डोर में !

पपीहे की प्यास में,

प्यार की उमंग है !

आओ सखी जाए,

खेलन को होरी !

होरी बड़ी बरजोर है...


भंग की तरंग में,

फगुए के रंग में !

मन की तरंग में,

फाग देखो गा रहा मलंग है...

आओ सखी जाए,

खेलन को होरी !

होरी बड़ी बरजोर है...


वसन हुए पीत पीत,

खिले पीले पीले !

सरसों के फूल...

मन में छलकता,

यौवन भरपूर है !

आओ सखी जाए,

खेलन को होरी !

होरी बड़ी बरजोर है...


मन की अग्न में,

टेशू की दहन में !

छलकते यौवन में,

बहक रहा देखो !

साधु का मन है...

आओ सखी जाए,

खेलन को होरी !

होरी बड़ी बरजोर है....


राधा का मन डोले,

कान्हा की बंशी बोले !

गोपियों का संग बोले,

बिखरा चहुँओर !

रंग और अबीर है !

आओ सखी जाए,

खेलन को होरी !

होरी बड़ी बरजोर है...


भँवरे की गूँज में,

कोयल की कूक में !

गोरी के नयना में,

बागों में देखो !

बगरो बसंत है...

आओ सखी जाए,

खेलन को होरी !

होरी बड़ी बरजोर है...।।


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