राजनीति
राजनीति
फिर राष्ट्रध्वज कफन पर
शहीदों के लिपट रहा है
लहराने से ज्यादा तो
वह कफन हो रहा है
कौन सी है यह राजनीति
सैनिकों के साथ खेलते हो
लड़कर होना था जिन्हें शहीद
उन्हें हमलों में मार देते हो।
क्या उनके घर अब
खुशियाँ फिर आएगी
तमाम उम्र अब तो
सिर्फ यादों में बीत जाएगी।
शहीद होना सैनिक की
मानो यूं शान होती हैं
राष्ट्रभूमि, राष्ट्रध्वज के लिए
उसकी जान न्यौछावर होती है।