भुल
भुल
भुलकर तुम्हे साई, और कहां जाये
सासों की धड़कन, रग रग मे तुम समाये ।।
भुलू कैसे साई तुम्हे, दिल मे समाये हो
दिल को कैसे तोडूं साई, दिलबर तुम्ही हो
पलपल से मिलने की आस बढ़ जाये
सासों की धड़कन रग रग मे तुम समाये ।।
बीना देखे कैसे रहूं, नयनों मे तुम हो
आंखे बंद कैसे करू, सपनों में तुम हो
ख़्वाबों खयालों से हकीकत बन जाये
सासों कि धड़कन रग रग में तुम समाये ।।
मुश्किलों का हल साई, तुम ही दिखाते हो
अश्कों से मोती साई, तुम ही बनाते हो
गम के परछाई से ख़ुशी नजर आये
सासों की धड़कन रग रग मे तुम समाये ।।