मौसम और बचपन
मौसम और बचपन
हर मौसम हैं, सुहाना
हर मौसम का अपना मजा।
अब कहो, ये कुदरत का करिश्मा
या दिल की नादानियाँ।
सर्दी में लगती प्यारी आग की तपिश
गर्म गर्म चाय, कॉफी देती दिली सकून।
गर्मी में सूरज की तपिश जलाती
दिल को ठंडी आइसक्रिम लुभाती।
बसंत में लगते रंग-बिरंगे फूल प्यारे
आसमान में पतंग के पेंच लड़ाते।
बरसात में पानी में छप छप कर भीगते
ठहरे हुए पानी में कागज की नाव चलाते।
हर मौसम करते अपनी मनमानी
फिर खाते मम्मी की डांट खोरी।
हर मौसम हैं, सुहाना
हर मौसम का अपना मजा।
अब कहो, ये कुदरत का करिश्मा
या दिल की नादानियाँ।