शायर के खाली पन्ने शायर को खाली पन्नो का सहारा,
शायर के खाली पन्ने शायर को खाली पन्नो का सहारा,
शायर को खाली पन्नो का सहारा,
दीखता है उसमे हर मुर्दा भी प्यारा,
हँस लेता हूँ मैं खुदपर आंसू बहाकर,
और स्याही की कमी पूरी करता ये नज़ारा।
शायर को खाली पन्नो का सहारा,
दीखता है उसमे सर्दी में गर्मी का मौसम,
मिलती है हर कुर्बानी की परिभाषा वहां,
और विचारो में आशा की निराशा का नज़ारा।
शायर को खाली पन्नो का सहारा,
खुदही झूमता खुद को चूमता अकेला घूमता,
दिखती है खुद की ठोकर, खुद की बेबसी,
और प्यार मोहब्बत में बिताये पलों का नज़ारा।
शायर को खाली पन्नो का सहारा,
जो मर कर भी जीवित रहता है शब्दों में,
जो आज है कल, कल होगा इतिहास तुम्हारा,
कुछ अर्थ मतलबी, कुछ अर्थो में अनर्थों का नज़ारा।