प्रयास
प्रयास
कुछ भीगी हुई सी गलियाँ हैं,
अरमान भी उनके भीगे हैं,
सपनों की बारिश में,
वो देख रहे आकाश को,
नन्हीं आँखें जो नम हो रही,
आसुओं की अलमारी से !
कुछ मिट्टी के टूटे-फूटे मकान हैं,
बिल्कुल उनकी तितर-बितर,
ज़िन्दगी की तरह,
पर ये मकान ढह भी जायें तो क्या,
उनके सपनों का महल, कम है क्या ?
कुछ रोक-टोक भी हैं ज़िन्दगी में,
उनके अपनों की बातों से ही,
किसी दर्द में सिमटी राहत-सी,
पर उन्हें कौन रोक सकता है,
वो बच्चे हैं, ईश्वर स्वरूप,
वो हैं छांव, वो हैं धूप !
कुछ बातें हैं,
जो वो कहते नहीं,
न तुमसे, न मुझसे,
डरते हैं न जाने किससे,
पर वो डर भी उनका छूट जाएगा,
गर हर बच्चा,
बेबुनियादी बंधनों को तोड़,
स्कूल जाएगा !
कौन समझाएगा,
उन्हें ज़िन्दगी के मायने,
उन्हें जीने के फायदे,
लम्हों से मोहब्बत करना,
सच की इबादत करना,
बह जाना बन पानी,
रोकने की चाहे कोई,
कितनी करे मनमानी !
इसलिए बस हम यहाँ है,
ये साथ है, ये जहाँ है,
कुछ सीखेंगे, कुछ सीखाएँगे,
एक बेहतर कल बनाएँगे,
यही उम्मीद है खुद से भी,
बस यही एक चाह है,
बस ये राह ही ज़िन्दगी,
ये एक छोटा-सा ‘प्रयास’ है !
ये सपनों का ‘प्रयास’ है !