दिल समझायें कभी कभी
दिल समझायें कभी कभी
रुख्सत करी जो सूरत याद आयें कभी कभी
सपनों में आकर मुझको तड़पायें कभी कभी
मुस्कान आज भी दिलमे है उनकी बसी हुई
उनकी प्यारी बाते आँख भर लायें कभी कभी
वो भूली बिसरी बातें वो हसीन मुलाकातें
काश उनके भी यादों में आ जायें कभी कभी
जो रखें हैं संभाले खत आज भी मैंने सारे
पढ़कर अपने भी खत वो गाएं कभी कभी
खत्म करो ये किस्सा कब तक याद करेंगे
यूँही दिलकी बाते दिल समझायें कभी कभी
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शशिकांत शांडिले (एकांत), नागपुर
मो.९९७५९९५४५०