चिट्टियां कभी आती थी
चिट्टियां कभी आती थी
चिट्ठियाँ आती थीं कभी वतन से
यादें उनकी साथ लाती थीं
खत्म हुआ वो दौर भी अब तो
इंटरनेट का ज़माना है।
खुश्बू नहीं अब कोई महसूस होती अपनों की
चिट्टी तो अब कोई आती नहीं है
महक अपने वतन की अब तो आती नहीं है
व्हाट्सएप्प पर ही सब भेज देते मैसेज।
व्हाट्सएप्प पर ही वीडियो कॉल कर लेते
दूरी भी अब नज़दीकी हो गई
जब भी खलती है कमी किसी की
झट से सब फ़ोन पकड़ लेते हैं।
वो भी क्या दौर हुआ करता था
हफ़्तों तक इन्तजार हुआ करता था
चिट्टियां भी सब को प्यारी लगती थीं
संभाल संभाल कर सब रखा करते थे।
अब तो बस वो चिट्ठियाँ, कहानियाँ है,
गुजरे वक्त की सब निशानियाँ हैं
अब वो वक्त लौट नही सकता ।।।