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Kamal Purohit

Romance

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Kamal Purohit

Romance

अनजान रिश्ता

अनजान रिश्ता

1 min
150


चली है जिंदगी अपनी ज्यूँ नदिया के किनारे हैं

कई जन्मों से इक दूजे के हम दोनों सहारे हैं।


लगा कर सात फेरे भी नहीं बन पाये कुछ साथी

मगर बिन फेरों के हो तुम मेरे और हम तुम्हारे हैं।


तेरा दिल है अमानत पास मेरे ओ मेरी जानम,

यही है सल्तनत मेरी हम इसपे जाँ निसारे हैं।


सुकूँ को गर तलाशेगी तेरी ग़म से भरी आँखे,

चली आ पास मेरे तुम कि हम अब भी तुम्हारे हैं।


नहीं पहचान इस रिश्ते की है कोई मेरे हमदम

मगर कितने ही रिश्ते यूँ ही इस रिश्ते पे वारे हैं।


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