तुम
तुम
मेरे आँखों की तव्वसूर भी तुम,
और नूर-ऐ-वानगी भी तुम।
दिल की दीवानगी भी तुम,
और हिज्र-ऐ खुदा की
रवानगी भी तुम।
खुदा-या पैगाम भी तुम,
इश्क की इबादत में,
खुदा के नाम भी तुम,
वो परियोँ की कहानी।
जो सुनाती थी, बचपन मे नानी,
उसके सुन्दर संसार भी तुम।