मोक्ष
मोक्ष
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सुना है, पढ़ा है,
मानता भी हूँ मैं यह,
शुद्ध प्रेम का अर्थ
दो आत्माओं का एक हो जाता
एकात्म हो जाता
एक दूसरे में विलीन हो जाना
पर सुना तो यह भी है
आत्मा समाप्त नहीं होती।
विलीन होती भी है
तो केवल परमात्म में
बस मोक्ष को प्राप्त कर लेने पर
तो क्या समझूँ मैं,
क्या प्रेम करना मोक्ष को पाना है,
क्या प्रेमी परमात्म हो जाते हैं
क्या एकात्म होने का अर्थ
प्रेमी होना है।
(एकात्म-सोलमेट)