इतनी गहराई मेरे इश्क़ में
इतनी गहराई मेरे इश्क़ में
मैं गर रोऊँ तो,
सहरा को समुन्दर कर दूँ
मैं गर हँस दूँ तो
फ़िज़ा को भी सिकन्दर कर दूँ
खाक हो जाये जहान
मैं गर जो आह भरूँ
आसमां टूट पड़े
मैं गर जो फरियाद करूँ।
मैं गर रोऊँ तो,
सहरा को समुन्दर कर दूँ
मैं गर हँस दूँ तो
फ़िज़ा को भी सिकन्दर कर दूँ
खाक हो जाये जहान
मैं गर जो आह भरूँ
आसमां टूट पड़े
मैं गर जो फरियाद करूँ।