मानवता ही धर्म है
मानवता ही धर्म है
मानवता से शुरू मानवता पर
ख़त्म इंसान की कहानी है
मानवता की मौज से
ज़िंदगी को मिलती रवानी है !
मानवता की खूबी ही
इंसान को इंसान बनाती है
इंसानों के बाद रह जानी जो
अच्छाई वही तो उसकी निशानी है !
मानवता का अनकहा
मज़हब धर्म ही कहलाता है
इसे धारण करने के बाद ही
सच्चे अर्थों में फैलती रौशनी है !
भाईचारा और अमन की
बातें सिर्फ़ बातों में ना रखे
हर सम्प्रदाय की इज्ज़त करना ही
इंसानियत की ज़ुबानी है !
रब ने सिर्फ़ इंसान बनाया
ना हिन्दु ना मुस्लिम,
धर्म के ठेकेदारों की
बहुत बड़ी है चाल,
एकजुट हो जाओ सब
ये दुकान बंद हो जानी है।