प्रेम
प्रेम
प्यार ज़िंदगी में छिपी
अभिलाषाओं की अभिव्यक्ति
प्यार है तो खोने का डर है
नहीं है तो पाने की चाह।
रेत सूखी है
समंदर है ढूँढती
पानी संग गीली रेत में
नाम अपना ढूँढती।
योवन कमसीन कली
रंगों में बिखरी फूलों सी परी
चाह कम ना होती प्रेम की
राह ख़त्म ना होती प्रेम की।
माटी पर नाम लिख
सोचती प्रेम पा लिया
पाना ओर खोना
ये सिलसिला जज़्बात का
प्रेम का ख़्याल का।
पत्थर सा नाम
क़लम सा प्रेम
चला चलता गया
छपता गया।
छाप अपनी छोड़ता गया
छाप अपनी छोड़ता गया।