भागती सी ज़िन्दगी
भागती सी ज़िन्दगी
भागती सी है ज़िन्दगी
जल्दी पाने की होड़ है,
अपना स्वार्थ है सर्वोपरि
रोंदते औरों की नीड़ है।
हर इंसान है थका-सा,
फ़ुर्सत नहीं किसी के पास
बढ़ती इच्छाओं की आपूर्ति से
वह हो जाता हताश।
वह ठगा-सा रह जाता है
जब इच्छाओं का होता दमन
जो हर हाल में रहे सन्तुष्ट
तभी चिंताओं का होगा शमन।