तुम गलत हो
तुम गलत हो
तुम गलत हो,
पर तुम कभी मानोगे नही।
क्योंकि तुम्हारे अहम को चोट लगती है,
हर बात अपनी मनवाना तुम्हारी आदत है।
तुम गलत हो,
क्योंकि कभी-कभी किसी की सुनना भी पड़ता है।
हर रिश्ता जरूरी होता है जीवन मे ये तुम भी जानते हो।
तुम गलत हो,
जो ये सोचते हो कि सब कुछ पैसो से
खरीदा जा सकता है।
हर कोई तुमारे लिए बदल जाये ये जरूरी तो नही।
तुम गलत हो
जो ये सोचते हो कि तुम सब को बदल सकते हो।
अपनी खुशियों की परवाह करनी अच्छी बात है।
तुम गलत हो,
जो सिर्फ अपनी ही खुशियों की परवाह करते हो।
माना, की मैं तुम को गलत कह रही हूँ
और फिर भी मेरी तारीफ कर रहे हो तुम।
मुझे जरूरत नही है किसी की तारीफ की,
क्योंकि तुम मुझे समझते हो
मेरे लिए इतना ही काफी है।
मेरे अल्फ़ाज़ सिर्फ तुमारे लिये है,
ये राज़ राज़ तुम भी जानते हो।
बहुत उदास हो गया मन आज तो
एक अपने को खोने का
दुख कम भी ना हुआ था।
कि और एक अपना
उसी रोज़ दूर हो गया है।
ये कैसा सितम हो गया तेरा रब्बा,
अब क्या गिला करें तुझसे,
क्यों हमारा ही घर मिला था
चिराग बुझाने के लिए।
तुम गलत हो,
क्योंकि तुम हमसे सवाल करते तो
हमारी उदासी की वजह जान जाते।