हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ
हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ
में उगते हूँए सूरज का किरण हूँ
ढलते हूँए शाम की रौशनी हूँ
पूरब से पश्चिम तक,उत्तर से दक्षिण तक
में गर्व से लहराता हूँआ हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ
हां मुझे गर्व है कि में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ।
आकाश में झलकता हूँआ में वह सितारा हूँ
रातमे जुगनू जैसा टिमटिमाता हूँआ में वह रौशनी हूँ
मुझे गर्व है कि में इस माटी का हिस्सा हूँ
हां मुझे गर्व है कि में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ।
कवि के कलम से लिखा हूँआ में वह कविता हूँ
गितिकर के हातो से सजता हूँआ में वह गीत हूँ
हर कबिता में अलंकार तो बोहोत होते है
उन अलंकारों के शब्दों से सजता हूँआ में वह संगीत हूँ
हां मुझे गर्व है कि में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ।
बलिदान तो बोहोत हूँए है मुझे बचाने के लिए
शहीद तो बोहोत हूँए है मुझे लहरता हूँआ देखने के लिए
शहीदों के काबर पे सजता हूँआ जाता हूं
आज भी में गर्व से लहराता हूँ उन शहीदों के लिए।
सहस भी में हूँ
बलिदान भी में हूँ
सहस के साथ साथ बलिदान देने वाला रक्त भी में हूँ
सच्चाई भी में हूँ
अमन भी में हूँ
शुद्धता भी में हूँ
सच्चाई पे चलने वाला
अमन पे विश्वास रखने वाला
सुधता को अनुरक्षण करने वाला जरिया भी में हूँ
हां मुझे गर्व है कि में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ।
आस्था भी में हूँ
श्वरीय भी में हूँ
आस्था के साथ साथ श्वरीय गाथा लिखने वाला
अशोक चक्र भी में हूँ
हां मुझे गर्व है कि में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ
हां मुझे गर्व है कि में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ।
कश्मीर से कन्यकुमारी तक
पुरे देश में सार ऊंचा करके लहराता हूँ
धर्म, जाति के नाम पे दंगे तो बहुत होते देखे है मैंने
मुझे बचाके रखो क्यूंकि, मैं अपने आप पे एक धर्म हूँ।
जाना गण मन से भारत माँ की सेवा करो
कियुंकी भारत माँ पे मैं ही साजता हूँ
जोभी बलिदान देते है मेरे रक्षा के लिए
उनके सोते हूँए काबर पे में ही लिपटता हूँ
हां में ही लिपटता हूँ,
मुझे गर्व है कि मैं हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ
हां में हिंदुस्तान का तिरंगा हूँ।