सफलता का शिखर
सफलता का शिखर
नभ तक लायी सीढ़ी सफलता की
दूर तक पर देखो कोई दिखता नहीं।
बहुतों के सर पैर धर पाई ये ऊंचाई
पर यहाँ से दिखती है सिर्फ खाई।
अकेला कब तक यहाँ रुक सकूँगा
क्या नीचे कभी उतर सकूँगा।
मिलेंगें वही सब मेरे अपने संघर्ष करते
बचाऊँगा नज़र अपनी डरते डरते।
मेरी बात मान लेना मेरे दोस्त
कभी अंधी शौहरत में ना हो रिश्ते ध्वस्त।