तड़प दिल की तेरे लिए
तड़प दिल की तेरे लिए
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बहुत उकसाते हो न मुझे,
एक दिन देखना तरसोगे मेरे साथ
एक पल गुजारने के लिए।
नहीं समझते हो न तुम मुझे देखना,
तड़पोगे मुझे सीने से लगाने के लिए।
मेरे विचारों पे जो हर बार संदेह करते हो,
देखना तरसोगे मेरी एक आवाज को सुनने के लिए।
वो क्षण कभी तो आएगा जब हम ना होंगे,
और बस तुम्हारी यादों में कैद होंगे,
इतना क्या मगरूर होना खुद पर।
बहुत देखे हैं मैंने भी दरगाह पर फरियाद करते हुए,
जो चले जाते हैं छोड़ उनके लिए पल पल मरते हुए।