खोदोगे तो जल निकलेगा
खोदोगे तो जल निकलेगा
सब्र रखो ! कुछ हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलेगा।
कहने वालों की सुनने से,
उलझन का जंगल निकलेगा।
कर पाओ कुछ काम अलग से
उनका कुछ तो फल निकलेगा।
मत झाँको अपनों के मन में,
यार! बहुत ही छल निकलेगा!
मन की परतें सख़्त भले हों,
खोदोगे तो जल निकलेगा।
दूर रखो अपनी चाहत से,
मौके पर असफल निकलेगा।
ओजस्वी मत हारो ऐसे,
संघर्षों से हल निकलेगा।।