दिल की बात
दिल की बात
वो बात दिल की मैं, कह ना सकी
बिन कहे मैं, जिंदा रह ना सकी।
जीती थी मगर, खामोशियों से घिरे
दूरियां सनम ! तेरी, मैं सह ना सकी।
वो बात दिल की मैं, कह ना सकी
बिन कहे मैं जिंदा, रह ना सकी।
तबादले किए होंगे बहुत, मेरे जाने के बाद
जान कर भी ये सब कुछ, मैं सह ना सकी
जीती थी मगर मैं, जिंदा रह ना सकी।
वो बात दिल की मैं, कह ना सकी
बिन कहे मैं जिंदा, रह ना सकी।
इश्क का नाम रख दिया है, बंदगी मैंने
कर लिया अब सनम से, आशिकी मैंने
होती क्या है दिल्लगी, मैं समझ ना सकी।
वो बात दिल की मैं, कह ना सकी
बिन कहे मैं जिंदा, रह ना सकी।