गज़ल........
गज़ल........
ए जिंदगी तुम पागल हो क्या?
प्यार करने का ए अपराध किया क्यों
तुम्हें क्या दुश्मनी है लब्ज़ से?
मेरे प्यार से तेरा क्या ताल्लुक है?
सपने दिखाकर तुमने भटका दिया
मुझे प्यार में फसाया तुम्हें क्या सजा दूँ ?
तुझे समझते लब्ज़ वाकिफ़ हुई दुनिया से,
लब्ज़ जैसी तुम भी आवारा हो क्या?
मेरी खुशी का राज तू है,
अब मुझे मारना है क्या ?
जो ए गलती कराई.....