तेरा मेरा मिलन..
तेरा मेरा मिलन..
जब तुम थी तो गर्मी की तप्ती दोपहरी भी
सुनहरी लगती थी,
अब तुम नहीं तो सावन की बारिश भी जलाती है।
ये प्यार भी तब क्यों होता है,
जब मिलना क़िस्मत में ही नहीं होता है।
तेरा मेरा मिलना हो न हो क़िस्मत में प्रिये,
पर सुना है प्यार के आगे रब भी झुकता है,
जैसे धरती और आकाश का मिलन क्षितिज पर होता है।
Mr.Singh