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Rupam Kumar

Abstract

4.8  

Rupam Kumar

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अपनी आँखों में तुम हया रखना

अपनी आँखों में तुम हया रखना

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अपनी आँखों में तुम हया रखना

घर में भी सर पे दुप्पटा  रखना।


है मेरी उँगलियों की कुछ  हसरत

इसलिए ज़ुल्फ़ को खुला  रखना।


पढ़ने लिखने में हो बड़ी अच्छी

पढ़ने  लिखने से  वास्ता रखना।


खुद को छूना नहीं हमेशा  तुम

कम से कम ज़िस्म तो नया रखना।


लोग  तुमको  जो बे-वफ़ा बोले

वैसे  लोगों  से  फासला रखना।


जान जाती है इश्क़ में अक्सर

जान  देने  का  हौसला  रखना।


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