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Gaurav Shrivastav

Romance

4.5  

Gaurav Shrivastav

Romance

चाहत

चाहत

1 min
573


जिसे ढूंढते थे हम कभी,

हमारे आने पर पता नहीं कहाँ छुप जाती है,

जिसकी मुस्कान के कायल थे हम कभी,

पता नहीं क्यों हमारे आने पर रुक जाती है।


जिससे मिलने की कोशिश हम हर बार करते थे,

पता नहीं क्यों हर बार वो मना कर जाती है,

जिसे हम अपने प्रेम की नायिका बनाना चाहते थे कभी,

पता नहीं क्यों हर बार वो हमें दोस्त बनाकर ही रह जाती है।


जिनके लिए हम कविताएं रात को भी लिखते हैं,

उनके लिए ये बस कुछ चंद लाइनें हो जाती है,

अब हम उन्हें कितने इशारे और दे अपने इश्क़ के,

कि उन्हें भी कोई शक ना रह जाए हमारे इश्क़ पर।


जिन्हें हमारे आने पर खुश होना चाहिए था,

वो अब चिंता का समय हो जाता है।

कहा जब वो हमे देख कर शर्मा जाती थी,

और अब हमारा व्यंग्य बना जाती है।


बस और हमें ना है धीर,

आज बताओ क्या तुम बनोगी हीर ?

सोचने जवाब का समय मैं दूंगा,

पर हा की आश मैं तुझसे करूँगा।

ना बोल दे तो फर्क ना पड़ेगा,

जीवन में शांति का अहसास तो रहेगा।।


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