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Reshma Majumder

Drama

5.0  

Reshma Majumder

Drama

हम

हम

1 min
301


कुछ अंगारों पे चलते हैं

कोई अंगारों से खेलता है

हम तो ठहरे अनारी

राख से अपना दिल बहलाते हैं


कुछ खंजरों से डरते हैं

कोई चाकू से वार करता हैं

हम अकेले बैठे

बहते खून में अपना अक्स ढूंढते हैं


वक़्त की तराज़ू पे तोलते हैं उसे

जिसका किसीके नज़र में कोई मोल न हो


हम वह है जिसकी

किसी को भी न है कोई फ़िक्र

युग है हम जिसका

अंत होके भी अंत न हो।


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