क्या दिया वर्ष २०२० ने
क्या दिया वर्ष २०२० ने
क्या दिया वर्ष २०२० ने हमें
सोंचने की बात ज़रूर है
माना दिए ज़ख्म खूब गहरे
पर हौसला भी दिया भरपूर है
फिर से वाबस्ता करा दिया
भूले हुए रीति रिवाजों से
मानव को मानव बना दिया
अपने अलग ही अंदाज़ों से
घर में सबको बंद किया
पर दिल की गांठे खोल दी
मुख पर पट्टी बंधवा दी
हया शर्म आंखों में लौटा दी
कठिनाइयों में कैसे जिये
अलग ही अंदाज़ पड़ा गया
भूली बिसरी कहानियों को
फिर से जीवित करा गया
अहं में डूबा था हर एक जन
सिखा गया पाठ मानवता का
"कल" और "कल " में क्या अंतर है
क्यों ज़रूरी है अपनत्व व् एकता
गरूर व् नासमझी ने
मानव को दानव बना दिया था
निरंकुश हुए थे पशु पक्षी
गगन में भी छेद कर दिया था
माना दिल दुखाया बहुत
उमड़ उमड़ कर २०२० ने
पर गिरगिट रूप दिखाया हमें हमारा
यथार्थ में जगाया हमें २०२० ने
क्या वाकई में इतनी दूर से
संक्रमण आया था निगलने हमें
या चिंतन मनन सिखा गया
और जगा गया गहरी नींद से हमें
प्रकृति का नियम प्यार है, आभार है
ऐसी बोली सिखा गया
नायाब संक्रमण के रूप में
वास्तविक दुनिया दिखा गया
परिवर्तन और विकास
प्रकृति के नियम है अभिन्न
जब भी "गलत " रेखा पार करेगा
ईश्वर फिर रूप धरेगा "भिन्न "
युग है यह "कलयुग"
न जाने क्या क्या दिखायेगा
पर अंतरात्मा गर हो पवित्र
ईश्वर भी साथ निभाएगा
चलो प्यार से विनम्रता से
वर्ष २०२० को विदाई दें
शुक्र करें उस परमात्मा का
जिसने अब तक सांसे बख्शी है.......