कितनी बार मैंने
कितनी बार मैंने
कितनी बार मैंने, ना जाने
दिल दुखाया मेरा, जाने अंजाने
दूसरों को खुशी देने के बहाने
नाराज है अब दिल बात ना माने।
कितनी बार दिल ने समझाया धोखा
चला अपनी ही चाल मन ना रूका
अब अड़ियल दिल सुनता कहाँ है
अपने ही मन की बस कर रहा है।
खुद दुःख लिए दूसरों को हँसाया
पर खुद के दिल को कितना सताया
अब तू ही संभाल ये बिखरा हुआ साया
सोच क्या तूने ये सब कर के है पाया।
खुद का ख्याल रखता तो बात और थी
खुद के लिए जीता तो जिंदगी कमाल थी
अब जो हुआ सो हुआ पीछे छोड़ दे गम
आगे नये सिरे से खुशी के बढ़ाये जा कदम।।